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कारक (karak in hindi) की परिभाषा
संज्ञा या सर्वनाम के वैसे रूप से,जो वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उनका (संज्ञा या सर्वनाम का) सम्बन्ध सूचित करता हो, उसे (उस रूप को) 'कारक' कहते हैं।
विनय ने पुस्तक पढ़ी।
इस वाक्य में विनय संज्ञा है , और विनय ने(संज्ञा का अन्य रूप ) जो वाक्य के अन्य शब्दों के साथ सम्बन्ध सूचित करता है उसे कारक कहते है ।
उदाहरण-
- माता ने दरवाज़ा खोला।
- शिक्षक छात्र को पाठ पढ़ा रहा है।
- सोहन कान से बहरा है।
- वह नौकरी के लिए शहर गया|
- जमीन के अन्दर से साँप बहार निकला|
- वह महेश की जमीन हैं|
- शिवम मैदान में खेल रहा है|
विभक्तियाँ- कारक की स्पष्टता के लिए संज्ञा या सर्वनाम के आगे जो प्रत्यय लगाया जाता हैं, उन्हें व्याकरण में 'विभक्ति' अथवा 'परसर्ग' कहते हैं। विभक्ति से बने शब्द-रूप को 'पद' कहते हैं।
- माता ने दरवाज़ा खोला|
कारक के भेद-
हिन्दी में कारको की संख्या
आठ है-
- कर्ता कारक
- कर्म कारक
- करण कारक
- सम्प्रदान कारक
- अपादान कारक
- सम्बन्ध कारक
- अधिकरण कारक
- संबोधन कारक
कर्ता कारक-
वाक्यांश के जिस रूप से क्रिया करने वाले का बोध होता है , उसे कर्ता कारक कहते हैं।
जैसे- राम ने रावण को मारा। उपर्युक्त उदाहरण में क्रिया करने वाला राम के बारे में पता चल रहा है, यहाँ 'राम ने' का प्रयोग किया गया है, अतः यहाँ कर्ता कारक है।
- तीर्थ ने पुस्तक पढ़ी।
- रोहन ने पत्र लिखा।
- जय ने गाना गाया।
- पिता जी ने दरवाज़ा खोला।
- देव ने साईकिल चलाई।
कर्म कारक-
वाक्य में क्रिया का फल या प्रभाव जिन शब्द पर पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते है|
जैसे- राम ने रावण को मारा। उपर्युक्त उदाहरण
में रावण, क्रिया से प्रभावित हो
रहा है। अतः
- राम ने रावण को मारा।
- शिक्षक छात्र को पाठ पढ़ा रहा है।
- सुरेश ने आपने छोटे भाई को पुस्तक पढ़ दी।
- रमेश अपने पिता जी को पत्र लिखेगा।
- बंदर ने फल को खा लिया।
- भाई ने बहन को बुलाया।
करण कारक-
किसी वाक्य में कर्ता जिस माध्यम/जिसके साधन के द्वारा से क्रिया करता है उस माध्यम/साधन को करण कारक कहते हैं।
जैसे- राम ने रावण को तीर से मारा। उपर्युक्त उदाहरण में कर्ता कारक (राम ने) तीर से (साधन) के द्वरा क्रिया हो रहा है। अतः तीर से करण कारक का उदाहरण है |
उदाहरण:-
- महेश यहां बस से आता है।
- बिनय के साथ कविता भी दिल्ली गई।
- मोहन कान से बहरा है।
- चाकू के द्वारा आम काटा गया।
- बच्चा गेंद से खेल रहा था।
- पत्थर के द्वारा साँप मारा गया।
सम्प्रदान कारक-
सम्प्रदान शब्द का अर्थ ‘देना’ होता है। तो किसी वाक्य में कर्ता के द्वारा जिसे कुछ देता है, या जिसके लिए क्रिया करता है, उसे सम्प्रदान कारक कहते हैं।
जैसे- राम ने रावण को तीर से सीता के लिए मारा। उपर्युक्त उदाहरण में कर्ता कारक (राम ने) सीता के लिए क्रिया किया| अतः सीता के लिए सम्प्रदान कारक का उदाहरण है |
उदाहरण –
- रवि बच्चों के लिए मिठाई लाया।
- सुरेश ने महेश को पुस्तक दी।
- बच्चा दूध के लिए रो रहा था.
- हम यहाँ पढ़ने के लिए आते हैं.
अपादान कारक-
अपादान शब्द का अर्थ ‘अलगाव’ होता है। जब वाक्य में कोई एक व्यक्ति या वस्तु किसी दुसरे व्यक्ति या वस्तु से अलग होने का बोध करता है , उसे अपादान कारक कहते हैं|
जैसे- राम ने रावण को तीर से सीता के लिए वन से लंका में जारक मारा। उपर्युक्त उदाहरण में कर्ता कारक (राम ने) वन से अलग होकर क्रिया की | अतः वन से अपादान कारक का उदाहरण है |
उदाहरण-
- टेबल से किताब निचे गिर गयी|
- बादल से बारिश होती हैं|
- जमीन के अन्दर से साँप बहार निकला|
- पेड से पत्ते गिर रहे हैं|
संबंध कारक-
जब हमें वाक्य में किसी एक व्यक्ति या वस्तु का संबंध किसी दूसरी व्यक्ति या वस्तु के साथ होता है तो उसे संबंध कारक कहते हैं| संबंध कारक संज्ञा या सर्वनाम का किसी वस्तु या व्यक्ति के साथ के संबंध का बोध कराता हैं|
उदाहरण:-
- यह सुनील की किताब है।
- यह सुरेश की जमीन हैं.
अधिकरण कारक-
वाक्शय में शब्द के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहते है। इसकी विभक्ति ‘में’ और ‘पर’ होती हैं।
जैसे :
- राम मैदान में खेल
रहा है।
उपरोक्त वाक्य से यह प्रश्न उठता हैं कि ‘खेलने’ की क्रिया
किस स्थान पर हो रही है ? तो उत्तर मिलता हैं “मैदान
में”। इसलिए मैदान में अधिकरण कारक होगा।
- मन छत पर खेल
रहा है।”
इस वाक्य में ‘खेलने’ की क्रिया छत पर हो रही है। इसलिए यहां ‘छत पर’ अधिकरण कारक होगा।
संबोधन कारक-
वाक्य में प्रयुक्त ऐसे शब्द जिसके द्वारा संज्ञा और सर्वनाम के रूप में किसी को बुलाने, पुकारने और बोलने
का बोध कराया जाता है। उन्हें संबोधन कारक कहा जाता है।
संबोधन कारक में हे, अरे, ओ , अजी विभक्ति चिन्ह का प्रयोग होता है। संबोधन कारक में विराम चिन्ह के रूप में विस्मयादिबोधक चिह्न चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
- हे भगवान! आप कहा है ।
- अरे! तुम कहा जा रहे हो।
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